सिद्धेश्वर और माया को वे लोक अपने साथ स्वर्ण महल में लेकर आते है और सिद्धेश्वर को दो हटे-कटे आदमी उस पकड़कर महल के कक्ष में ले जाते है और माया को सुहाना अपने साथ अपने कक्ष में ली जाती है। थोड़ी देर में वैद्य को बुलाकर मेरे पास लाया जाता है और वो वैद्य मेरे शरीर को गौर से देखता है और फिर उसने मेरी नब्ज को देखा ...कुछ देर मौन होकर देखने के बाद ..वो वैद्य कहता है..,इसकी शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों ऊर्जा अत्याधिक कम हो गई...इसने बहुत मात्रा में अपनी ऊर्जा का प्रयोग कर लिया है...यह तो