नो ड्यूज़

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देखो ये अनार कितना सुंदर है? कितना लाल, कितना सुनहरा... खिला- खिला। डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करते हुए प्रज्ञा ने अनार को हाथ में लेकर फिरकी की तरह घुमाते हुए कहा। - इसे रख लो, कल काम में लेना... प्रतीक बोला। ये सुनते ही प्रज्ञा बुझ गई। ऐसा लगा जैसे किसी ने उफनते दूध पर पानी के छींटे मार दिए हों। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कल आने वाले प्रतीक के दोस्त इम्तियाज़ में ऐसी क्या ख़ास बात है जिसके लिए प्रतीक तीन दिन से इतना उत्साहित है। इतना खुश और सचेत तो उसने प्रतीक को पहले