आठ साल पहले…. एक सुबह …. जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,जय कपीस तिहुं लोक उजागर, राम दूत अतुलित बल धामा,अंजनि पुत्र पवनसुत नामा महावीर विक्रम बजरंगीकुमति निवार सुमति के संगीकंचन बरन बिराज सुबेसाकानन कुंडल कुंचित केसा इसी कमरे में हनुमान चालीसा के मधुर शब्द सुनाई पड रहे थे, अगरबत्ती की भीनी भीनी खुशबू पूरे कमरे को सुगंधित कर रही थी कि तभी हनुमान चालीसा पूरी करके आकाश ने घड़ी पर नजर डाली तो वह खुद से ही बोल पडा “ ओ माय गॉड, नौ तो यहीं बज गये, हे भगवान..... अब ब्रेकफास्ट छोड़ो और जल्दी से यहां से निकलो वरना यह