अशोक वाटिका की सीता - 2

  • 3k
  • 1.4k

रावण के सीता हरण के निर्मम कृत्य के साक्षी जटायु से सीता की व्यथा सुनकर राम अत्यंत पीड़ित आभास कर रहे थे। दूसरी ओर सीता जो इस अन्याय की भोगी रही थी, उसका मन भी हृदय भेदी पीढ़ा से भरा था और उसके हांथो को जबरन पकड़ने वाले रावण का हृदय अथाह अहंकार से.....! जिसके मद में आकर सीता से वह बोला:- दिव्य चमकती मेरी सोने की लंका को देख रही हो सीता। तुम्हारा भविष्य ही तुम्हे उस कुटिया से यहां लाया है। सीता:- हां रावण। तुम सत्य कह रहे हो।। मेरा भविष्य ही मुझे यहां लेकर आया है। तुम्हारे