अछूत कन्या - अंतिम भाग 

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गंगा-अमृत अब सब के लिए है, यह वह लम्हा था जिसका सबको इंतज़ार था लेकिन यह कभी आएगा ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। लोग आज बहुत ख़ुश थे। आपस में कई तरह की बातें हो रही थीं। अधिकतर लोगों की ज़ुबान पर यही बात थी कि गंगा और यमुना, गाँव की इन दो बेटियों ने सचमुच बदलाव ला दिया। आज सभी यमुना को याद कर रहे थे। लोगों का मानना था कि गंगा की कोख से वापस यमुना ने ही जन्म ले लिया है। वह अपना अधूरा काम पूरा करके ही मानी। इसीलिए तो गंगा की गोद में