सीरिया का बटुआ

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बस करीब एक घंटा है लेट थी। बस के रुकते ही लगभग कूद कर टेढ़े मेढे रास्ते से घूमती, कीचड़ पानी से बचती बहिनजी जब स्कूल के अहाते में घुसीं, तब जाकर उन्हें चैन आया। कैसी उलझन थी, कोई गलती नहीं, फिर भी अपराधी बन जाओ। ड्यूटी पर देर से पहुंचो और बेबात ही अफसरों की चार बातें सुनो। करे कोई, भरे कोई। बस तो सरपंच ने लेट कराई और जान सांसत में आ गई बहिनजी की। बहिनजी ने पसीना पौंछ कर रुमाल वापस पर्स में रखा और अपने कमरे में घुस गईं। कुर्सी पर बैठते ही दो -चार पल