चरित्रहीन - (भाग-19) - अंतिम भाग

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चरित्रहीन.......(भाग--19)यहाँ तक की अपनी कहानी वसुधा जी ने सुनायी.....मैं तन्वी एक पत्रकार हूँ, जो वसुधा पाठक की उपलब्धियों की वजह से आयी तो उनका इंटरव्यू लेने थी...वो तो मैंने ले लिया था, पर उनकी शख्सियत से मैं इतना प्रभावित हो गयी कि मैं उन पर एक किताब लिखने का ठान बैठी थी। जब मैंने उन्हें बताया कि मैं उन पर एक किताब लिखना चाहती हूँ, तो आप शुरू से अपनी लाइफ के बारे में बताइए। उन्होंने जब पहली लाइन बोली तो मै् हैरान रह गयी उनकी बोल्डनेस से...! मैं नहीं जानती थी कि उनकी पूरी लाइफ किसी रोलर कोस्टर जैसी