चरित्रहीन - (भाग-13)

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चरित्रहीन.......(भाग-13)आकाश की कमी महसूस होती ही थी।कभी कभी लगता था कि वरूण और बच्चे यहाँ होते तो शायद ज्यादा बिजी रहती तो ऐसे ख्याल दिमाग में आते ही नहीं? बच्चों के फ्यूचर को ही दिमाग में रख कर उन्हें अपने से दूर किया था, नतीजा सामने दिखने लगा है उनके ऐकडमिक रिकॉर्डस को देख कर...दोनो बहन भाई हर चीज मे आगे थे, वैभव और अनुभा भी पीछे नहीं थे उनसे.....2 दिन के लिए ही सही मैं जाती या वो लोग आते तो घर चहचहा उठता था....! ऑफिस जाते रहने से भी एक रूटीन बना हुआ था.....कम से कम बाहर आने