प्यार का ज़हर - 57

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गोविंद : अरे सरस बेटा मेरा ना बहार जाने का कर रहा है. चलो ना बेटी जाकर आते है.संतोष : सरस देख लो तुम्हारे दादा जी को. भरे बुढापे मे घुमने जाना है. पहले खुद्की हालत तो देख लो कमसे कम अपनी हालत का खयाल तो रख लो.सरस : हाए आप दोनो लड़ते हुए कितनी अच्छे लगते हो. नज़र ना लगे किसी की.गोविंद : अरे बस बस सरस बेटा अब इन को ज्यादा मत बताओ वरना जाने नही देंगे ये आपकी दादी.सरस : हा चलो. दादी हम आते है. घूम के ठीक है.संतोष : अरे लेकिन तुम लोग इतनी देर