चरित्रहीन - (भाग-10)

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चरित्रहीन.......(भाग -10)उस दिन बुरा तो बहुत लगा था, पर किसी को कुछ कहना ही बेकार था। मैंने घर से ही काम करने को ठीक समझा। वरूण और मेरे पास वो दूर-दूर के रिश्तेदार आने लगे जिनसे हम बहुत कम मिले थे। पापा के कजिंस के बच्चो का ऑफर आता वरूण की काम में मदद करने के लिए। सब अपने बच्चों को सैटल करना चाह रहे थे, हमारी मदद कौन करना चाहता है कौन नहीं ये हम दोनो बहन भाई समझ रहे थे। वरूण ने पापा के कजिन के बेटे आशीष को बुला लिया, वो नहीं चाहता था कि कोई ये