चरित्रहीन - (भाग-8)

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चरित्रहीन......(भाग-8)अगली सुबह हमारे लिए किसी भूचाल आने से कम नहीं था। रात को ठीक से नींद नहीं आयी तो सिरदर्द हो रहा था। किसी काम को करने का मन ही नहीं कर रहा था....पर बच्चों को देखना था तो धीरे धीरे मैं अपना काम निपटा रही थी। 10 ही बजे थे कि मम्मी का फोन आया। उन्होंने बताया," कनिका अपने मायके चली गयी है, हमेशा के लिए"। "क्यों मम्मी? वरूण से कोई बात हुई है क्या? ऐसा क्या हो गया "? मैंने सवालों की झड़ी लगा दी। वरूण तो कह रहा है कि "उससे तो कोई बात या बहस कुछ