चरित्रहीन - (भाग-6)

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चरित्रहीन.......(भाग-6)वो रात रोते हुए और सोचते हुए ही बीतगयी.....कभी मन करता कि नीरज ठीक कह रहा है मंदिर में शादी कर लेते हैं, फिर सब मान जाँएगें तो कभी दिमाग कहता कि मेरे मम्मी पापा को कोई दिक्कत नहीं इस शादी से तो ऐसे उनसे छिप कर शादी करने का कोई मतलब नहीं बनता......नीरज के प्यार पर मम्मी पापा का प्यार हावी हो गया था। आखिर होता भी क्यों नहीं उन्होंने मेरी इच्छा का मान रखा था तो उनकी इज्जत को मैं यूँ छुप कर शादी करके उछाल नहीं सकती थी.....सुबह होते होते मैंने भी अपना मन बना लिया था