इश़्क का इजहार...

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रेलवें स्टेशन पर शमा परवीन अपनी सहेली का इन्तजार कर रही है तभी ट्रेन आकर प्लेटफार्म पर रूकी और उसमें से मेहरून्निसा अपने सामान के साथ उतरी,मेहरुन्निसा को देखते ही शमा बोली..... तो मैडम मेहरुन्निसा !आप आ ही गई इस बार के मुशायरें,मैं तो सोच रही थी कि मेरी सहेली को फुरसत ही ना मिलेगी, कैसें ना आती तूने जो इतनी मिन्नतें की थी,मेहरुन्निसा बोली... अब क्या करूँ?मेरे शौहर इतने बड़े शायर हैं उन्होंने ही मुशायरें का बंदोवस्त किया है और अगर मैं अपनी शायरा सहेली को मुशायरें में शामिल ना करती तो मुझे लगता कि ये मेरी ही तौहीन