अपने साथ मेरा सफ़र - 9

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नौ ये सोच और ऐसी तलाश की ख्वाहिश कोई आसान काम नहीं था। पहले तो अपने इरादे में गंभीर होना था। फिर काम का एक रोड मैप बनाना था। कम से कम एक छोटी सी टीम तैयार करनी थी जिसकी सोच में साम्य हो न हो, पर एक जिज्ञासा और निष्पक्षता हो। और एक दूसरे से निश्छल सहयोग करने की निस्वार्थ भावना हो। इस टीम में कैसे कौन लोग हों, ये सोचते हुए मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि हम किसी को भी लाएं या आमंत्रित न करें। हम तो एक छोटे से टीले पर जा बैठें और चारों तरफ़