चरित्रहीन - (भाग-4)

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चरित्रहीन......(भाग-4)उस रात खुली आँखों से इतने सपने सजा लिए थे कि आँखे बंद करने से भी डर लग रहा था.....कितनी कपोल कल्पनाएँ चल रही थी मन में.....नीरज कैसे पापा से बात करेगा? पापा के पैर छुएगा या ऐसे ही नमस्ते करेगा? पैर छू कर नमस्ते करे तो ज्यादा अच्छा होगा, नीरज नर्वस न हो जाए? पापा उससे स्टेटस की बातें न करने लगे? जब पापा नीरज को मिल कर हाँ करेगें तो नीरज कैसे रिएक्ट करेगा? पता नहीं सैकडो़ं सवाल थे जिनका जवाब जब नीरज शाम को घर आएगा, तब मिलना था। ऐसा इंतजार करना बहुत मुश्किल लग रहा था.......जब