संचित प्रायश्चित

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वह दौड़ कर वाशबेसिन के पास गया और ज़ोर से खखार कर थूकने लगा। आंखें लाल हो गई थीं और उनमें पानी छलक आया था। पुतलियां ऐसी लग रही थीं मानो तरबूज के कटे टुकड़े के भीतर धंसा काला बीज हो। तरबूज सी ही पनीली आंखें। थूक- थूक कर मानो चैन नहीं मिला। उबकाई अब भी निरंतर आ रही थी। जीभ बाहर निकाल कर अंगुली से मसल - मसल कर वह भीतर का सब मैल निकाल फेंकने पर आमादा था। मगर मैल था कि भीतर अस्थिमज्जा तक में रच- पच गया था। निकलता ही न था। ऐसा महसूस होता था