बंद खिड़कियाँ - 24

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अध्याय 24 "आज मेरे और दादी का खाना बाहर है" सुबह नाश्ते के वक्त अरुणा बोली । "अरे, मैं तो भूल ही गई" कहकर सरोजिनी मुस्कुराई तो नलिनी प्रश्नवाचक नजरों से उन्हें देखा। "कहाँ खाना है? होटल ले जा रही हो क्या?" अरुणा हंसी। "क्यों अम्मा? हमें खाने पर बुलाने के लिए आदमी नहीं है ऐसा सोचा क्या? शंकर-मल्लिका के घर पर आज हमारा खाना है।" "ओ" बोली नलिनी थोड़े विस्मय के साथ। "एक दिन उन्हें यहां खाने पर बुला सकते हैं?" "वही मैंने भी बोला!" सरोजिनी बोली। "शंकर को देखने से ही आपका चेहरा बदल जाता है। खाने पर