तभी उनके घर की डोरबैल बज गई। नमिता जी ने दरवाज़ा खोला और सामने खड़े इंसान को देख कर दंग रह गई। "कबीर!""नमस्ते आंटी," कबीर ने नमिता जी के पैर छूते हुए कहा। "नमस्ते बेटा! मुझे लगा तुम अपनी मीटिंग की वजह से नही आओगे पर मैं बहुत खुश हूं की तुम आ गए। आओ अंदर।""आह! हां! मैने अमायरा को कहा था की अगर टाइम पर मीटिंग खतम हो गई तोह मैं आने की कोशिश करूंगा। उसे लगा होगा की मैं शायद नही आ पाऊंगा।" कबीर तुरंत बात संभालते हुए कहता है। "ओह! कोई बात नही। तुम अब आ गए