सब गलत तो नहीं

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मैंने नाश्ता करने के बाद निमंत्रण- पत्र एक बार फ़िर देखा। कार्यक्रम ग्यारह बजे से था। ग्यारह बजे स्वागत, ग्यारह दस पर सरस्वती वंदना,ग्यारह पंद्रह से अतिथि परिचय, ... आदि -आदि। - चाय और लोगे? पत्नी की आवाज़ आई।- अरे नहीं, अभी- अभी तो नाश्ते के साथ ली है। इस बेरुखे से इंकार ने मानो पत्नी का अंतर खरोंच दिया। कुछ तेज़ आवाज़ में बोली- हां - हां वो तो मुझे भी पता है कि अभी पी है। मैं तो अपने लिए बना रही थी इसलिए पूछ लिया। अभी वहां प्रोग्राम में जाओगे तो झट से दोबारा पी लोगे। बस