साहित्य मंे भारतीयता के मायने यशवंत कोठारी साहित्य में जब जब भारतीयता की बात उठती है तो यह कहा जाता है कि साहित्य में भारतीयता तलाशना साहित्य को एक संकुचितदायरे में कैद करना है, मगर क्या स्वयं की खोज कभी संकीर्ण हो सकती है? वास्तव में संकीर्णता की बात करना ही संकीर्ण मनोवृत्ति है।सच पूछा जाए तो कोअहं अर्थात् अपने निज की तलाश ही भारतीयता है। और जब यह साहित्य के साथ मिल जाती है तो एक सम्पूर्णतापा जाती है। पश्चिमी साहित्य से आंक्रांत होकर जीने के बजाए हमें अपने साहित्य, अपनी संस्कृति से ऊर्जा ग्रहण करनी चाहिए। वैसे भीहम