समझौता प्यार का दूसरा नाम - 4

(13)
  • 4.9k
  • 2.6k

वसुधा पापा के साथ जाना तो नहीं चाहती थी पर वो इतने खुश थे, कि उसे भी जाने का मन हो गया। मां और बाकी परिवार वालों से मिलने की खुशी में जल्दी जल्दी अपना सामान बांध कर तैयार हो गई। शाम को पिता पुत्री अपने घर में मौजूद थे। परिवार के सभी सदस्य खुश थे वसुधा के घर आने से। साथ के घर में रहने वाले वसुधा के चचेरे ताऊ जी की बेटियां और बेटे भी उससे मिलने आए। आखिर उनकी वसु दीदी थी जो शहर से आई थी। रागिनी और जयंती दोनो का अपनी वसु दीदी से कुछ