लावण्या - भाग 11

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सुबह के 9:बज रहे थे,,,, विक्रांत ने करवटली उसकी आंख खुली,,,,, उसने अपने पास में लावण्या को नहीं पाया,,,,,!!! उसे याद आया कि कल रात गुस्से में उसने क्या किया था। उसने खिड़की से देखा तो बहार हल्का सा स्नोफॉल हो रहा था ,,,, विक्रांत जल्दी से उठा स्लीपर पहने और दौड़ के नीचे गया,,,,!विक्रांत के मुंह से निकल ओह......शीट ,,!!उसने चारों ओर नजर घूमकर देखा,,,,फिर उसकी गाड़ी जहा पड़ी थी उस और गया ,,,,,,,विक्रांत ना देखा तो कार के पीछे लावण्या दोनों पैरों को सीने से लगाकर सिकुड़ कर सो रही थी,,,,!उसने दो बार आवाज दी पर लावण्या नहीं