साहेब सायराना - 11

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दिलीप कुमार की कहानी केवल एक मौसम के सहारे पूरी नहीं होती। इसे असरदार तरीके से मुकम्मल होने के लिए धूप- छांव में जाना ही पड़ता है। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति में केवल और केवल सारी खूबियां या अच्छाइयां ही नहीं होती। हर शख़्स में कोई न कोई कमी तो होती ही है। यदि ऐसा न हो तो वो दुनिया की नज़र में इंसान नहीं बल्कि देवता हो जाए। उदाहरण के लिए फ़िल्मजगत में ऐसी मिसालें मौजूद हैं जब किसी बेहतरीन कलाकार ने अपनी बेहतरी को दुनिया की नज़र में और ज़्यादा बेहतर दिखाने के लिए