लघु कथाएं अमंगल में भी मंगल यशवन्त केाठारी एक राजा और उसके मंत्री में बहुत दोस्ती थी । राजा हर काम करने से पहले मंत्री से पूछता था और मंत्री का एक ही जवाब होता था, ‘महाराज, अमंगल में भी मंगल छिपा है ।’ राजा अकसर यह सोचकर परेशान होता था कि यह अमंगल मे मंगल कैसे छिपा होता है ? एक बार राजा की उँगली में भयंकर फौड़ा हुआ और उसकी उँगली काटनी पड़ी। राजा ने मंत्री से पूछा तो उसका फिर वही जवाब था, ‘अमंगल में भी मंगल छिपा है ।’ राजा को बहुत