दर्द ए-दांत से दर्द-ए-दिल तक यशवंत कोठारी जीवन का साठवां बसन्त या पतझड़ चल रहा है। बुढ़ापे का शरीर।बुढ़ापे की आंखे। बुढ़ापे के दांत। अक्सर कहीं न कहीं दर्द होता रहता है। सुबह से दाढ़ में दर्द था। दॉतों के डाक्टर की तलाश में निकला। प्राथमिक मुआईना करके डाक्टर ने मासूम सी राय दी ’यह दांत निकलवाना पड़ेगा। मगर मेरी इच्छा दांत निकलवाने की नहीं थी दूसरे डाक्टर के पास गया। एक्सरे के बाद उस डाक्टर की राय भी पहले वाले डाक्टर की तरह ही थी, दांत निकलवा दो नही तो दूसरे दांत भी खराब हो जायेंगे।