मेरे घर के ठीक बगल वाले घर में एक बेलदार परिवार था।तीन भाइयों का परिवार एक साथ रहता था।उनमें एक भाई को कोई संतान नहीं थी।उसकी पत्नी ने सारे जप -तप ,व्रत- उपवास,पूजा- पाठ कर डाले पर उसकी कोख फलित नहीं हुई।फिर उसे दौरे पड़ने लगे।दौरा उसे वर्ष में एक बार ही पड़ता था।वह भी बाले मियाँ के विवाह के अवसर पर। बाले मियाँ मुस्लिमों में पूज्य हैं।वे कोई मुस्लिम सन्त थे। हजरत सैयद मसूद गाजी मियां (बाले मियां) रहमतुल्लाह अलैह हजरत अली करमल्लाहू वजहू की बारहवीं पुश्त से है। गाजी मियां के वालिद का नाम गाजी सैयद साहू सालार