माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसमें कुछ हिन्दु नियम कानूनों का ऐसा समाहित है, जो आज के परिवेश अनुसार उचित नहीं लगते, पर बात जब हम नारी चरित्र पर करते तो उसका ये श्लोक काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।" यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया : ।। (यानी जहाँ नारी या स्त्रीजाति का आदर-सम्मान होता है, उनकीं आवश्यकताओं- अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान,समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते है।जहाँ ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहाँ देवकृपा नहीं रहती