कार सड़क पर बेतहाशा दौड़ रही थी। सुबह - सुबह का समय होने से कुछ तो ट्रैफिक भी कम था और कुछ बात ही ऐसी थी कि साजिद उड़ कर आंटी के पास पहुंच जाना चाहता था। मनप्रीत भी उसकी उत्तेजना देख कर साथ चली आई थी। जब वो दोनों बंगले पर पहुंचे आंटी पूरी तरह बिस्तर से उठी नहीं थीं। वो अधलेटी सी ही चाय पी रही थीं जो उनके यहां काम करने वाली लड़की रसोई से उन्हें देकर गई थी। मनप्रीत के रोकते- रोकते भी साजिद बोल ही पड़ा- आंटी, अताउल्ला और सुल्तान मर गए। आंटी ने उसकी