812 ईस्वी, छोटे से प्रार्थना कक्ष के सामने 3 लोग खड़े हैं। प्रार्थना कक्ष के अंदर के भयानक दृश्य को देखकर तीनों आतंक से जम गए हैं। तीन बौद्ध संन्यासी , सुबह के इस मनोरम किरण में भी उनके बलिष्ट शरीर में डर व आतंक का तरंग दौड़ रहा है । सामने ही एक लगभग सूखा हुआ शरीर पड़ा हुआ है। आँख आश्चर्य से भरा तथा मुँह खुला हुआ। मस्तक व पहनावे को देखकर समझा जा सकता है कि बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है। मृत शरीर से कुछ दूरी पर एक संदूक है तथा उसका ढक्कन खुला हुआ है।