कमरें में अँधेरा था फिर हमीदा की नज़र दरवाज़े की ओट की तरफ़ गई,उसने देखा कि वहाँ सफ़ेद लिबास़ में एक साया खड़ा है,लेकिन उसका चेहरा हमीदा नहीं देख पा रही थीं उसे देखते ही हमीदा ने पूछा.... कौन हैं वहाँ? तो किसी ने कुछ भी जवाब ना दी.... हमीदा ने एक बार फिर से पूछा.... कौन हैं? जवाब दीजिए।। लेकिन तब भी किसी ने कोई आवाज नहीं दी.... हमीदा का दिमाग़ चकरा गया और वो बौखलाकर चीख उठी.... हम पूछते हैं कौन है वहाँ? कोई जवाब क्यों नहीं देता? लेकिन तब तक वो साया दरवाज़े की ओट से गायब