"क्या बात है यार , मतलब शिकारी खुद ही शिकार बन गया ? साला, अपनी पत्नी की बलि चढ़ाने चला था, पत्नी के आशिक ने उसकी ही बलि चढ़ा दी।" कहते हुए मैं ठहाके लगाकर हंसने लगा। उसने दुबारा मेरी तरफ देखते हुए गंभीरता से कहा। " तब से लेकर अब तक शरिर का आधा नीचला हिस्सा रात के अंधेरे में कुएं से बाहर निकलने की कोशिश करता है और उपर का हिस्सा पुरे घर के भीतर हाथोंंके सहारे घसिटकर घुमाता रहता है । लेकिन चंद्र ग्रहण से कुछ दिन पहले वो आत्मा उस औरत को परेशान कर अपनी