वो गंगा ही तो थी...

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सुलोचना के पति गजेन्द्र फोरेस्ट आँफिसर थे और इस बार उनके साथ वो भी गई,बड़ा सरकारी डाक बंगला था अंग्रेजों के जमाने का, गाँव से कुछ दूर जंगल के पास,उस जगह आदिवासियों की संख्या बहुत ही ज्यादा थी,गाँववालों के तो कुछेक घर ही वहाँ बने थे।। सुलोचना वहाँ पहुँची तो वहाँ की सुन्दरता में खो सी गई,पास में ही पहाड़ था और उसके बगल से नदी बहती थी,जंगल की सुन्दरता सुलोचना को मंत्रमुग्ध कर गई,उस डाकबंगले में एक आदिवासी लड़की काम करने आती थी जिसका नाम गंगा था,वो सीधी बंगले में घुसती चली गई और ज्यों ही उसने सुलोचना