Rewind ज़िंदगी - Chapter-8.2: पुनर्मिलन फिर से

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Continues from the previous chapter…माधव दो घड़ी सोच में पड़ गया फिर बोला, “शो के बाद कीर्ति कहां गई, उसका क्या हुआ?”“ये तो मुझे भी मालूम नहीं पर मुझे इतना पता है वो तुमसे सच्चा प्यार करती थी।”“ये तुम कैसे कह सकती हो?”“हम सब औरतों का दिल बहुत नाजुक होता है माधव, और हमारे अंदर लड़कों को लेकर सिक्स्थ सेन्स भी होता है। उससे हमें पता चलता है कि सामने वाला इंसान कैसा है कैसा नहीं। मैंने जो उसकी आँखों में तुम्हारे लिए देखा था वो किसी और की आँखों में या फिर किसी और के लिए नहीं देखा। वो