मुझे तुम याद आएं--भाग(११)

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कजरी को नीचें बैठता देख सोमनाथ ने उसके पास जाकर उसे सहारा देकर खड़ा किया फिर कुर्सी पर बैठाकर उसके एड़ी को देखकर छूते हुए पूछा.... कहाँ चोट लगी है?यहाँ पर या यहाँ पर... सोमनाथ के सवाल का कजरी ने कोई जवाब नहीं दिया तो सोमनाथ ने जरा तेज आवाज में कहा... मुँह में दही जमा है क्या? बोलती क्यों नहीं? मुझे चोट-वोट नहीं लगी है,मुझे घर जाना है,कजरी बोली।। खड़ा तो हुआ नहीं जा रहा,देवी जी! चलकर घर जाएंगीं,सोमनाथ बोला।। आपको इससे क्या? मेरा पाँव टूट भी जाएं लेकिन पहले आप डाँट लीजिए,कजरी बोली।।