ममता की आँखों में बार-बार आँसू आ जाते थे |कैसे वह अपने पाप का प्रायश्चित करे ?कैसे अपने चेहरे को उज्ज्वल करे ?गत–वर्षों की कालिमा क्या यूं ही छूट जाएगी ?क्या उसका पाप उसकी बेटी के सिर पर चढ़कर बोलेगा ?उफ,ईश्वर ने उसे कैसा रूप दिया है ...बिंबाफल से अधर ...श्वेत वर्ण ...शुक जैसी नासिका ....सब –कुछ फुरसत में गढ़ा-हुआ-सा |अपनी कमल –सी खिली सुंदर ,मासूम आँखों से जब वह उसकी ओर देखती है तो ममता का दिल कसक उठता है |क्या उसकी गीता-कुरान –सी पाक बेटी भी वासना के पुजारियों द्वारा नोची जाएगी ?क्या उसका सुंदर शरीर भी ऊंचे-नीचे भाव से बेचा जाएगा?नहीं , वह ऐसा नहीं होने देगी