यशवंत कोठारी नारी के दर्द को अभिव्यक्त करता है व्यंग्य श्रीमती शैलजा माहेश्वरी ने अपनी इस पुस्तक में हिंदी व्यंग्य में नारी की भूमिका का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया है.घर परिवार ,बाहर की दुनिया ,नौकरी स्वयं का व्यवसाय हार क्षेत्र में नारी की समस्याओं को जिन व्यंग्यों में उकेरा गया है उन पर लेखिका ने गहरा शोध किया है ,उन समस्याओं को समझा है और विश्लेषित किया है.आलोचना के क्षेत्र में नारी वाद की स्थापना नहीं हुई है.हिंदी आलोचना में स्त्री का पक्ष नहीं सुना गया.व्यंग्य में तो स्त्री -लेखन या महिला व्यंग्य कारों का लेखन ही बहुत कम है