तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप !

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वैसे तो जाने कब से स्त्री-पुरूष के लिए यह दोहरी नीति चली आ रही है और समाज के रगों में यह इतना घुल गया है कि किसी को इसमे कुछ गलत नहीं लगता ,पर न्याय तो यही कहता कि यह विभेद मिटना चाहिए |स्त्री सदियों से इस न्याय के लिए लड़ रही है |पहले अंदर-अंदर ही घुटती थी,अब खुलकर चीखने लगी है |कोई यूँ ही तो नहीं चीखता है|असहनीय पीड़ा होती है,तभी चीखता है |पर समाज की दृष्टि में यह स्त्री की बगावत है| गरिमा और शालीनता के खिलाफ बगावत!उसने फतवा जारी कर दिया कि जो चीखती है,वह अच्छी स्त्री