नीम का पेड़ (पार्ट 5)

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16--निर्णय"अब तू मनीष को भूल जा और कोई दूसरा जीवन साथी तलाश ले।""क्यों?माँ की बात सुनकर सपना ने पूछा था।"तू अपनी आंखों से देखकर आ रही है।मनीष अपाहिज हो गया है।"मनीष और सपना एक दूसरे को चाहते थे।प्यार करते थे।उनकी सगाई हो चुकी थी।और शादी की तारीख निश्चत होने के बाद निमन्त्रण पत्र भी बट.चुके थे।मनीष अपनी शादी का कार्ड देने मथुरा गया था।कार बांटकर वह ट्रेन से वापस आ रहा था।जय गुरुदेव के मेले के कारण ट्रेन में भीड़ बहुत थी।वह जैसे तैसे एक डिब्बे में दरवाजे के पास खड़ा हो गया।ट्रेन पटरी पर दौड़ी चली जा रही थी।अचानक