--वन लाइनर ,फन लाइनर ,गन लाइनर :फेस बुकी टुकड़े यशवंत कोठारी 1-इधर मैने किताब बेचने के बारे में नया सोचा -किसी संपादक को किताब दो,फिर धीरे से एक रचना खिसका दो ,रचना छपेगी, उसके पारिश्रमिक को किताब बेचना कह सकते है,-मैं ऐसा सा कर चुका हूँ. २-मठाधिशों को मठ्ठाधिशों से बचाओ. ३-हिंदी व् मैथिली भाषा के बीच बहस जारी है,राजस्थानी भाषा वाले...- ४-एक बड़े मठाधीश हर साल एक ही नए प्रकाशक की पुस्तके अपने विभाग में खरीदते है,कुछ दिनों बाद उस संसथान से उनकी पुस्तक आती है ,यही बाजारवाद है . ५-वंश वाद संस्थाओं को नष्ट