अखबार वाला

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"न्यूज़ पेपर, न्यूज़ पेपर" हमेशा की तरह रट लगाते हुए 'श्लोक' ने श्याम बाबू के घर पर दस्तक दी। श्लोक अखबार दरवाज़े पर रखकर जा ही रहा था कि अचानक से घर का प्रवेश द्वार खुला। आज अखबार उठाने कोई सुन्दर युवती आई थी। साँवली और आकर्षक काया, सुन्दर नयन-नक्श, घुँघराले बाल और गुलाबी होंठ की स्वामिनी वह 'प्रिया' थी। श्लोक पल भर के लिए वहीँ ठहर सा गया। प्रिया को श्लोक के उसकी ओर देखने का एहसास हुआ अतः वह क्रोधित होकर बड़बड़ाती हुई दरवाज़ा बंद करके अंदर को चली गई। श्लोक अभी भी सम्मोहित सा द्वार की ओर