गुम हूं तुम्हारे इश्क़ में - ( भाग - 2 )

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सरिता जी ( मुंह बनाकर ) - तुम कभऊं नई सुधर सकती । तुमाओ जो पैसन खा ले के कंजूसी पनो कभऊ न जेहे...। ( अनुमेहा कुछ कहने को हुई , तो सुधा ने उसका हाथ दबा कर उसे पलकों से न का इशारा किया , तो अनुमेह चुप हो गई ) हम जा रहे , तुम भी तैयार होके जल्दी चली जइओ और समय से आ जइयो । इतना कहकर सरिता जी मुस्कुरा कर चली गई और अनुमेहा उनके जाते ही तुरंत सुधा से मुखातिब होते हुए बोली । अनुमेहा - क्यों रोका तुमने हमें...???? उन्हें इन चीजों को