देखो...

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इस दुनिया को देखो गौर से देखो.. बस देखते ही रहो...ओर कुछ करने की जरूरत ही नहीं है..तुम देखोगे तो जानोगे ओर जानोगे तो मानोगे ओर मानोगे तो तुम स्वयं अपनेआप जागोगे। बस तुम जागोगे तो तुम्हे सब कुछ स्पष्ट और सुंदर दिखाई देने लगेगा... सब कुछ तुम्हे गति में दिखाई पड़ेगा.. सब कुछ बहता हुआ... निरंतर चलता हुआ तुम जानोगे। मैं देखती हूं मुझे सब कुछ गतिमान अपने आप में बहता हुआ नजर आता है देखो... तुम जरा बारिश को गौर से देखो... सोचो बारिश निरंतर गिरती रहती है बीच में रुकती नहीं है उसका काम गिरना है.. वह