प्रेत-लोक - 14

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राजकुमार अचिंतन की आत्मा तांत्रिक योगीनाथ को प्रणाम करते हुए बोली “हे महात्मा आपने जो कुछ भी कहा वो बिलकुल सही है, शायद में उससे कुछ ज्यादा ही डर गया था और जहाँ आप जैसे महान तांत्रिक और महात्मा हैं वहां किसी को डरने की क्या जरूरत है, अब मेरे पास कुछ खोने को तो बचा नहीं है इसलिए में अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को आपको अर्पित करता हूँ, अब आप जैसा चाहें मेरे उपयोग कीजिये, मुझे अब किसी भी प्रकार से कोई शंका या परेशानी नहीं हैं, कृपया अपनी योजना और उसमें मेरे कार्य को मुझसे कहें, जिससे