रात के दस बज चुके थे। मालती जी , देवेश जी और अंश लिविंग रूम में बैठे, बार - बार दरवाज़े की ओर देख रहे थे । राधा जी अब तक अपने कमरे में सो चुकी थी ........., चार बातें कायरा के बारे में सभी को सुना कर । अंश बार - बार कायरा को फोन कर रहा था , पर कायरा फोन नहीं उठा रही थी । उठाती भी कैसे ??? फोन बैग में रखा हुआ तब, और वो भी साइलेंट मोड पर । और कायरा का दिमाग , बस आरव और राजवीर की लड़ाई में अटका हुआ था