मुझको शहर नहीं मेरा गांव चाहिए मुझको शहर नहीं है मेरा गांव चाहिए आम के बगीचे वाली छांव चाहिएमुझको शहर नहीं मेरा गांव चाहिएगर हो इलाज करना तो पत्तों को काट लूं गर एक आम पाऊं तो आपस में बांट लूंकागज की बनी कश्ती वो नाव चाहिए मुझको शहर नहीं मेरा गांव चाहिएजो पाऊं नमक रोटी खुश होकर झूम लूंगया का देख बछड़ा माथे से चूम लूं आधी पूरी कुश्ती के दाव चाहिए। मुझको शहर नहीं मेरा गांव चाहिए। उठा पटक जो चलती रहती घर के आंगन में मुझको जिम्मेदारी वाले पाव चहिएमुझको शहर नहीं मेरा गांव चाहिएखेतो में लहलहाती फसल,लोगो की अपनी अलग नसलगन्ने धान,और मगन