पंछी दरवाजा खोलती है। उसकी मम्मी ओर झील सामने ही सोफे पर बैठे हुए थे वो दोनों पँछी की चोट देख कर बोल उठते हैं - पंछी तुम्हारे सिर पर चोट किसकी लगी है । तुम्हारी पहले की चोट भी अभी तक ठीक नहीं हुई और आ सिर पे चोट लग गयी। पँछी बोलती हैं - मम्मा ! मैं जान बूझ कर थोड़ी करती हूं जो। आज तो कॉलेज में रिपेरिंग का काम चल रहा था तो वही चोट लग गयी । मम्मी - ओह ! मेरा बच्चा , तू थोड़ी कुछ करती हैं तेरे ये चोट तो ऐसे ही