प्यार भी इंकार भी - (भाग3)

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"फिर?"चारुलता को चुप देखकर देवेन बोला था।"पहले राघवन तन्खाह मिलने पर मुझेे घर खर्चे के लिए पैसा देता था ।लेकिन ज्यो ज्यो शराब की मात्रा बढ़ती गई।पेेेसे देेंने में वह कटौती करता गया। जब मैैंन पैसे कम पड़ने की बात की तो वह बोला," तुम्हारी जवानी पर पैसा लुटाने वाले बहुत मिल जाये गे ।तुम्हे मेरे से पैसे लेंने की कया ज़रूरत है।?यह सुनकर मेरी आँखों मे आंसू छलक आये थे।"आज भी उस बात को याद करके उसकी आंखें नम हो गई थी।देवेन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना दी थी।"उस दिन मैं उसकी बातें सहन