नज़र - 2 - एक रहस्यमई रात

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नया शहर, नया दिन, सुबह की खिली खिली धूप, आसमान में चह-चहाते हुए पंछियों की मधुर आवाज, और इंटर्नशिप का पहला दिन। मुग्धा की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। " गौरी आंटी हम हॉस्पिटल के लिए निकल रहे हैं'- दरवाजा बंद करते हुए मुग्धा ने आवाज लगाकर आंटी को बताया। "अरे सुनो बच्चे ये तुम्हारा टिफिन लेकर जाओ मैंने रेडी कर दिया है और सुनो आज पहला दिन है और मुंबई शहर भी नया है तुम्हारे लिए तो आज तुम्हें वीर हॉस्पिटल छोड़ देगा"- गौरी आंटी ने टिफिन देते हुए