धारा - 10

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"ये रहा गर्म दूध और ये दवाई..! खाकर सो जाओ ! अभी भी बुखार है तुम्हे !!!" देव को दवाई देकर धारा वापस किचन में आ गयी ! "धारा...प्लीज़ एक बार मेरी बात तो सुनो..!" उसके पीछे आते हुए देव रिक्वेस्ट करते हुए बोला । "देव प्लीज़.... इस समय मे कुछ भी सुनने-समझने की स्थिति में नही हूँ..!! आज के लिए प्लीज़ चुप रहो !" धारा ने बिना देव की ओर देखे एकदम निर्विकार भाव से कहा। धारा की ये बेरुखी देव को बहुत चुभ रही थी। वो जानता त्या की उससे गलती हुई है ! मगर सज़ा देने की