जीवन ऊट पटाँगा - 1 - डाकुओं के चंगुल से

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एपिसोड -1 डाकुओं के चंगुल से नीलम कुलश्रेष्ठ ज़िंदगी होती है बेतरतीब, बड़ी ऊट पटाँग, थोड़ी सी बेढब, थोड़ी सी खट्टी मीठी, हंसी और आँसुओं की पोटली, अकल्पनीय बातें आपके रास्ते में फेंकती आपको बौखलाती हुई, ठगती हुई --अपनी तरह से भूल भुलैया सी दौड़ती हुई. आप कितना भी ऐंठे कि हम अपने जीवन के मालिक हैं। ये बात सही है, आप मेहनत से, अच्छे कर्मों से अपनी ज़िंदगी संवार सकते हैं लेकिन प्रेम, शादी व साम्प्रदायकिता, शिक्षा से हटकर बहुत सी ऊट पटाँग घटनाएं ज़िंदगी को बौखलाए रहतीं हैं। आप चैन से जी नहीं सकते जब तक अचानक सामने